Friday, February 4, 2011

 
१-हर भावः मे कृष्ण है
विरह मे
संयोग मे
संजोग मे -कृष्ण हैं
२-यमुना तट पर
कदम्ब की डाल पर
बांसुरी की तान पर -कृष्ण हैं
३-गोधुली बेला मे
पर्वत मे
वृन्दावन मे कृष्ण है
४-मेरे प्यार मे
मेरे तकरार मे
मेरे व्यवहार मे -क्रष्ण है
५-जित देखू तित
हर पग मे
मेरे मन -संसार मे -कृष्ण है
६-कहाँ जाऊ
कहा छिपू
अब तो मेरे -हर स्वभाव मे कृष्ण है
७-नयन मे तुम
अधर मे तुम
नस -नस के रुधिर मे तुम
मुझे कान्हा तुम्ही
आकार बताओ -कहा नही हो तुम
यहा तो लग रहा -
बूंद -बूंद मे
कण -कण मे -कृष्ण है
८-माँ की ममता मे
पिता के सरक्षण मे
पत्नी के प्रेम मे
पति की चाह मे
भाई के स्नेह मे
मित्र के स्मरण मे
बच्चो की मधुर मुस्कान मे कृष्ण है

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